The Shodashi Diaries

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

In accordance with the description in her dhyana mantra, Tripurasundari’s complexion shines with The sunshine on the climbing Sunshine. This rosy coloration signifies joy, compassion, and illumination. She is shown with four arms in which she retains 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane for a bow. The noose signifies attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow represents the head as well as the arrows would be the five perception objects. Inside the Sakta Tantra, it can be Mom who is supreme, as well as gods are her instruments of expression. By means of them, she presides more than the creation, maintenance, and dissolution with the universe, and more than the self-concealment and self-revelation that lie driving People 3 activities. Self-concealment may be the precondition along with the results of cosmic manifestation, and self-revelation will cause the manifest universe to dissolve, disclosing the vital unity. Tripurasundari signifies the state of recognition that's also

हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना

The devotion to Goddess Shodashi is really a harmonious mixture of the pursuit of splendor and The hunt for enlightenment.

An early early morning bathtub is taken into account important, followed by adorning fresh new apparel. The puja region is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, making a sacred space for worship.

सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही Shodashi बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?

The whole world, for a manifestation of Shiva's consciousness, holds the key to liberation when just one realizes this fundamental unity.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में

ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ 

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